गुरुवार, 16 मार्च 2023

सम्प्रेषण

 

सम्प्रेषण-

अर्थ- विचार अथवा सन्देश का एक स्थान से दूसरे स्थान तक प्रेषित होना सम्प्रेषण कहलाता है। इसमें एक सन्देश प्रेषित करने वाला एवम एक सन्देश प्राप्त करने वाला होता है।

     मन में आए विचारों का बच्चों से बातचीत करता है 3और उनसे कुछ प्रश्न पूछता है, उन की कमियों को दूर करता है, उनके जवाब सुनता है, यह सभी संप्रेषण के आग होते हैं। मनुष्य भी अपने दिन प्रतिदिन और दिनचर्या में संप्रेषण का सहारा लेता है। हम अपने दिन प्रतिदिन के कार्य में संप्रेषण के माध्यम से उन्हें आसान बनाते हैं।

अवधारणा-अलग अलग विद्वानों ने संप्रेषण की अलग अलग परिभाषाये दी है-

एइगर डेल-संप्रेषण ऐसी प्रक्रिया है जिसमे विचारों एवम भवनाओ का लाभ के लिए आदान प्रदान होता है।

बाले-सप्रेषण मनुष्य को उत्तेजित करने की विवेकी प्रक्रिया है। आदान प्रदान करना सप्रेषण कहलाता है। सप्रेषण शब्द की उत्पत्ति सेटिन भाषा के शब्द Communiesसे हुआ। संप्रेषण एक ऐसी प्रोसेस है जिसके अतर्गत मनुष्य अपने विचारों का आदान प्रदान करता है। शिक्षण में संप्रेषण का अत्यधिक महत्व है। अगर हम बात करे कि सप्रेषण और शिक्षा का वया संबंध है तो हम सीधे तौर पर बोल सकते हैं कि संप्रेषण के बिना शिक्षा और शिक्षण करना संभव ही नहीं है। अध्यापक शिक्षण के दौरान

अरस्तु-संप्रेषण ऐसा माध्यम है कि एक व्यक्ति दूसरे को इस प्रकार प्रभावित कर सके ताकि वांछित फल की प्राप्ति हो सके।

संप्रेषण के प्रकार 

1. अनौपचारिक सम्प्रेषण :- जब एक समूह में किसी को किसी से भी बात करने की आजादी हो तो उसे ग्रेपवाइन संप्रेषण कहते हैं। ग्रेपवाइन संप्रेषण में कोई अनौपचारिक वैज्ञानिक तरीके से बात नहीं की जाती है। इसमें सभी आजाद होते है कोई किसी से भी बात कर सकते है। उदाहरण – जब स्कूल में अवकाश होता है तो सभी बच्चे आजाद होते हैं। अतः अब आपस में किसी से भी बात कर सकते है।

2. औपचारिक संप्रेषण :- जब बात करने का तरीका एक विधिवत और वैज्ञानिक हो उसे औपचारिक संप्रेषण कहते हैं। औपचारिक संप्रेषण में काम करने का तरीका बहुत ही सुलझा हुआ होता है और सभी अपने अपने कामों पर ज्यादा ध्यान देते हैं। उदाहरण - किसी ऑफिस में जब कोई जूनियर अपने सीनियर से बात करता है।

3. एकल । एक तरफा / वन वे संप्रेषण  :- जब सदेश एक तरफ से ही होता है तो एकल या वन वे संप्रेषण होता है। इसमें भेजने वाला संदेश भेज टेता हैं और प्राप्तकता उसे ग्रहण कर लेता है। उदाहरण कक्षा में अध्यापक ने बच्चों को बोला कि वह खेड़े हो जाइए ती बच्चे खड़े हो जाते हैं तो बह वन वे स्प्रेषण हुआ।

4. द्वितरफा / टूवे संप्रेषण:- जब दो व्यक्ति आपस में बातचीत करते हैं तो उन में तर्क - वितर्क होता है अर्थात प्राप्तकर्ता और भेजने वाला दोनों ही सम्मिलित होते हैं। उदाहरण - अध्यापक कक्षा में बच्चों से प्रश्न करता है तो बच्चे उसका उत्तर देते हैं तो वे टू वे संप्रेशन हुआ।

5. अंतः बैयक्तिक संप्रेषण :- जब व्यक्ति अपनी इच्छाओं के बारे में सोचता है तो उसे अंतः वैयक्तिक संप्रेषण कहते हैं। दूसरे शब्दों में जो व्यक्ति से प्रशन करता है तो अंत वैयक्तिक संप्रेषण कहलाता है। उदाहरण - परीक्षा कक्ष में जाने से पहले विद्यार्थी खुद से बात करता है।

6. अतर वैयक्तिक संप्रेषण :- जब दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच बातधीत होती है अर्थात जब हम दूसरों की इच्छाओं के बारे में बात करते हैं तो अंतर वैयक्तिक संप्रैषण कहलाता है। उदाहरण - मनोवैज्ञानिक और परामर्शदाता हमेशा दूसरों के बारे में बताते हैं अतः अंतर वैयक्तिक संप्रेषण हुआ।

7. शाब्दिक संप्रेषण:- शाब्दिक संप्रेषण में सदैव भाषा का प्रयोग किया जाता है। शाब्दिक संप्रेषण होता है जब मौखिक अभिव्यक्ति के दवारा अपने शब्दों को प्रस्तुत करते हैं। हम अपने दैनिक जीवन में सबसे ज्यादा शाब्दिक संप्रेषण का ही प्रयोग करते हैं।

8. अशाब्दिक संप्रेषण :- जब हम इशारो चिन्हों और कूट शाषा में बातचीत करते हैं तो वह अशाब्दिक संप्रेषण कहलाता है। उदाहरण - बहरे बच्चों से हम हाथों से इशारे करके बातचीत करते हैं।

संप्रेषण की आवश्यकता एवं महत्व

संस्था के उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक है यह उसके विकास और उत्तरोत्तर उन्नति की ओर ले जाने में सक्षम है अतः प्रबंधक और प्रशासन की दृष्टि से उपयोगी है और संगठन को प्रभावशाली बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह करता है संप्रेषण को आवश्यकता एवं महत्व को हम निम्नलिखित रूप में व्यक्त कर सकते है।

(१) विचारों के आदान-प्रदान में सुविधा- संप्रेषण के माध्यम से प्रधानाध्यापक शिक्षक छात्र कर्मचारी एवं अन्य अधिकारीगण के मध्य विचारों का भावों का सूचनाओं में आदान-प्रदान सुगमता से हो जाता है। निर्धारित समय और उपयुक्त व्यक्ति को उपयुक्त सूचना मिलने से उस की प्रभावशीलता में वृद्धि होती है और विकास में उत्तरोत्तर उन्नति के शिखर पर पहुंचने का प्रयास संभव हो पाता है।

(२) प्रदीपप्रदीप विचारधाराओं की समाप्ति- संप्रेषण के द्वारा एक दूसरे व्यक्ति के मन में बैठी विरोधी विचारधारा समाप्त हो जाती है जो व्यक्ति एक दूसरे के प्रति मन में कट्ता बनाए रखते है सम्प्रेषण उस कट्ता को दूर करता है इस प्रकार विकास का एक सौदर्य पूर्ण वातावरण बनता है इससे संप्रेषण की उपयोगिता में वृद्धि होती है।

(३) संस्था के उद्देश्यों की प्राप्ति में आपसी सहयोग-सप्रेषण अधिकारी और कर्मचारी के मध्य फैली गलतफहमियों को दूर करता है दोनों आपस में बातें करके अथवा सूचना के आदान प्रदान से एक दूसरे के साथ सहयोग करने को तत्पर हो जाते हैं और अधिकारी भी कर्मचारी हित पर ध्यान देने लगते हैं इस प्रकार संस्था का विकास संभव हो पाता है और संप्रेषण की सार्थकता सिद्ध हो जाती है।

(४) प्रबंध को शक्तिशाली बनाना--संप्रेषण से प्रबंधन और प्रशासन शक्तिशाली बनते हैं। आपसी विचार-विमर्श से उचित सुझाव से विविध समस्याओं एवं कठिनाइयों का समाधान खोज लिया जाता है समस्या का समाधान खोजना प्रबंध को शक्तिशाली बनाने में सहायता करता है। इसे संप्रेषण की उपयोगिता में वृद्धि होती है।

(५) नेतृत्व क्षमता का विकास-सप्रेषण के माध्यम से नेतृत्व क्षमता विकसित होती है एक दूसरे के हितों का ज्ञान होने से संगठन बनता है यह संगठन किसी एक व्यक्ति द्वारा संचालित होता है यह व्यक्ति संप्रेषण के द्वारा अधिकांश को उसके हित को सामने रखते अनुयायी तैयार करता है इस प्रकार नेतृत्व क्षमता का विकास होता है इससे संप्रेषण की उपयोगिता में और अधिक वृद्धि होती है।

सप्रेषण की विशेषता-

1. परस्पर विचारों एवं भावनाओं का आदान-प्रदान किया जाता है।

2. संप्रेषण एक पारस्परिक संबंध स्थापित करने की एक प्रक्रिया है।

3. यह दविवाही प्रक्रिया है। इसमें दो पक्ष होते हैं- एक सदेश देने वाला तथा दूसरा संदेश ग्रहण करने वाला|

4. संप्रेषण प्रक्रिया एक उद्देश्यपूर्ण प्रक्रिया होती है।

5. विचारों एवं भावनाओं के आदान-प्रदान को प्रोत्साहन दिया जाता है।

6. संप्रेषण की प्रक्रिया में अनुभव की साझेदारी होती है।

7. संप्रेषण की प्रक्रिया में परस्पर अंतः प्रक्रिया पृष्ठपोषण होना आवश्यक होता है।

8. इसमें आदान-प्रदान की प्रक्रिया को पृष्ठपोषण दिया जाता है।

9. सप्रेषण में प्रत्यक्षीकरण समावेशित होता है।

10. सप्रेषण सदैव गत्यात्मक प्रक्रिया होती है।



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