विद्यापति
पदावली
1.
सैसव जौवन दरसन
भेल। दुहु दल-बलहि दन्द-परि गेल।।
कबहुँ बाँधए कच कबहुँ बिथार। कबहुँ झाँपए अँग कबहुँ उघार।।
थीर नयान अथिर किछु भेल। उरज उदय-थल लालिम देल।।
चपल चरन, चित चंचल भान। जागल मनसिज मुदित नयान।।
विद्यापति कह करु अवधान। बाला अंग लागल पंचवान।।
अविरल नयन गरए जलधार । नव जल विन्दु
सहए के पार ॥
कि कहय साजनि ताहेरि कहिनी । कहहि न
पारिय देखलि जहिनी ॥
कुच युग ऊपर आनन हेरे । चान्द राहु
डरे चढ़ल सुमेरु ॥
अनिल अनल वम मलयजबीख। जेओ छल शीतल
सेय्रो भेल तीख ॥
चान्द सतावए सबिताहु जीनि । नहि जीवन
एकमतभेलि तीनि ॥
किछु उपचार मान नहि आन । ताहि
बेग्राधि भेषज पश्चवान ॥
तुभ दरसन विनु तिलाओ न जीव । जइअगो
कलामति पीउख पीब ॥
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