गुरुवार, 16 मार्च 2023

आहुति कहानी के आधार पर बिसंभर का चरित्र चित्रण

 

आहुति कहानी के आधार पर बिसंभर का चरित्र चित्रण कीजिये?

उत्तर- आहुति कहानी मुख्य रूप से बिसंभर आनंन्द ओर रूपमणि के आस पास ही घूमती है। बिसंभर इस कहानी का प्रमुख पात्र हैजिसके माध्यम से प्रेमचंद ने इस कहानी के मुख्य उद्देश्य को उभारने का प्रयास किया हैबिसंभर यूनिवर्सिटी का छात्र है जो अपने बिषय में सोचना छोड़कर स्वतंत्रता आंदोलन में कूद जाता है उसके चरित्र में निम्न विशेषताए देखने को मिलती है-------

1.आर्थिक रूप से कमजोर- बिसंभर आर्थिक रूप से कमजोर छात्र है इस लिहाज से वह फूटी तक़दीर लेकर आया था। वह पूरी तरह प्रोफेसरों के दिये हुए वजीफे पर आश्रित था----”प्रोफेसरों ने दया करके एक छोटा सा वजीफा दे दिया था बस यही उसकी जीविका थी।“

2.आत्माभिमानी- बिसंभर भले ही आर्थिक रूप से कमजोर ओर पढ़ने में उतना तेज न हो, परंतु उसमे स्वाभिमान था अपने स्वाभिमान के लिए ही वह स्वतंत्रता आंदोलन में केदता है वह जानता है जो वह करने जा रहा है उसके लिए वह हितकर नही है फिर भी वह इसमे जाता है क्योंकि अब मैं ओर अपनी आत्मा को धोखा नही दे सकता, यह इज्जत का सवाल हैऔर इज्जत किसी तरह का समझौता नही कर सकता”।

3.त्याग और निष्ठा- बिसंभर में त्याग और निष्ठा कूट कूट के भारी है वह अपने भविष्य को इस सर्त्त पर त्यागने को तैयार है कि स्वराज को प्राप्त होगा।  उसे पता है कि वह अगर स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेता है तो उसे कही नौकरी नही मिलेगी फिर भी वह इसमे भाग लेता है वह रूपमणि से कहता है- इसके बदले यहाँ क्या मिलेगा जानती हो सम्पूर्ण देश का स्वराज इतने महान हेतु के लिए मर जाना भी उस जिंदगी से बढ़कर है।

4.कर्मठ- बिसंभर कर्मनिष्ठ ब्यक्तित्व वाला इंसान है स्वराज भवन से देहातो में जागृति फैलाने का जो काम उसे मिलता है वह उसे पूरी निष्ठा के साथ करता है। वह गांव मे ऐसी जागृति फैला देता है कि वहाँ कोई भी विदेशी वस्तु बिकने नही पाती। -बिसंभर ने देहातो में ऐसी जागृति फैला दी है कि विलायत का एक सूत भी बिकने नही पाता और न नशे की दुकान पर कोई जाता।“

5.त्यागी- बिसंभर त्याग की मूर्ति है वह स्वराज प्राप्ति के लिए अपना सब कुछ त्याग कर पूरा मन प्राण से अपने कर्म में जुट जाता है। उसकी यही त्याग भावना रूपमणि को भी अपनी ओर आकृष्ट कर लेती है –“रूपमणि ने आज तक इस मंद बुद्धि युवक पर दया की थी इस समय उसकी श्रद्धा का पात्र बन गया।“

निष्कर्ष रूप में यह कह सकते है कि बिसंभर इस कहानी का सबसे प्रमुख पात्र है जिसके माध्यम से प्रेमचंद ने समाज के हर तबके में जागृति फैलाने का प्रयाश किया है। बिसंभर की त्याग, कर्मनिष्टत्ता तत्कालीन समय के सभी युवाओ के लिए आवश्यक थी, तभी वह देश पूर्ण स्वराज को प्राप्त कर सकता था।



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