आहुति कहानी के आधार पर आनंद का
चरित्र चित्रण कीजिये ?
उत्तर- आनंद आहुति कहानी
के प्रमुख पात्रो में से एक है वह बुद्धि और पैसा दोनो तरफ से सम्पन्न है वह
स्वार्थी होने के साथ साथ तर्कशील युवक है। जिसके कारण वह हमेशा बिसंभर पर भारी
पड़ता था वह अपने स्वार्थ के कारण ही राष्ट्र आंदोलन में जाने से बचने की कोशिश
करता है। इसकी चरित्र की प्रमुख विशेषता निम्न है –
1.पैसे और बुद्धि से
सम्पन्न – आनंद पैसे और बुद्धि के मामले में अन्य पात्रो से अधिक सम्पन है। लेखक आनंद के
विषय मे कहते भी है,-
“आनंद के हिस्से में लक्ष्मी भी पड़ी थी और सरस्वती भी”
2.स्वार्थी- आनंद स्वार्थी था उसे अपने स्वार्थ
की ही चिंता हमेशा रहती थी। वह स्वतंत्रता आंदोलन में इसलिए नही कूदता की अगर वह
उसमे जायगा तो उसे नौकरी नही मिलेगी। उसे यह स्वतंत्रता आंदोलन मजाक दिखता है
इसलिए वह कहता है-
“ लेकिन मेरे जैसे सौ- पचास आदमी निकल ही
आये तो क्या होगा ? प्राण देने के सिवा और तो कोई प्रत्यक्ष फल नही दिखता।
3.अहम- आनंद में अपने पैसे
और बुद्धि का अहंकार है इसलिए वह विसंभर को हर बात में दबाना चाहता है और उसपर
अपना आधिपत्य दिखाता है- “आनंद के पास उसके लिए सहानुभूति
का एक शब्द भी न था वह उसे फटकारता था जलील करता था और बेवकूफ बनाता था।“
4. ईर्ष्यालु –
आनंद में ईर्ष्या
भी थी वह विसंभर की सफलताओ से जलने लगा था इसलिए जब रूपमणि बिसंभर के नक्शे कदम पर
चलने लगती है तो आनंद को बुरा लगता है – “ कहता हुआ आनंद उठा खड़ा हुआ और बिना हाथ
मिलाये कमरे के बाहर निकल गया।
निष्कर्ष रूप मे यह कह सकते है कि आनंद इस
कहानी का ऐसा पात्र है जिसे कहानीकार ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौर के उन लोगो का
चित्रण किया है जो अपने स्वार्थ की प्रमुखता देते है बजाय राष्ट्र के।
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