प्रश्न-1 रिपोर्ताज का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- जीवन की सूचनाओं की कलात्मक
अभिव्यक्ति के लिए रिपोर्ताज का जन्म हुआ। रिपोर्ताज पत्रकारिता के क्षेत्र की
विधा है। इस शब्द का उद्भव फ्रांसीसी भाषा से माना जाता है। इस विधा को हम गद्य
विधाओं में सबसे नया कह सकते हैं। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय यूरोप के रचनाकारों
ने युद्ध के मोर्चे से साहित्यिक रिपोर्ट तैयार की। इन रिपोर्टों को ही बाद में
रिपोर्ताज कहा गया। वस्तुतः यथार्थ घटनाओं को संवेदनशील साहित्यिक शैली में
प्रस्तुत कर देने को ही रिपोर्ताज कहा जाता है।
प्रश्न-2 रिपोर्ताज के संबंध
में किन्हीं दो विद्वानों की परिभाषा लिखिए।
उत्तर- डॉ. भगीरथ मिश्र ने रिपोर्ताज
को परिभाषित करते हु लिखा है- "किसी घटना या दश्य का अत्यंत विवरणपूर्ण
सूक्ष्म, रोचक वर्णन
इसमें इस प्रकार किया जाता है कि वह हमारी आंखों के सामने प्रत्यक्ष हो जाए और हम
उससे प्रभावित हो उठें।"
शिवदान सिंह चौहान के अनुसार- "आधुनिक जीवन की
द्रुतगामी वास्तविकता में हस्तक्षेप करने के लिए मनुष्य को नई साहित्यिक रूप विधा
को जनम देना पड़ा। रिपोर्ताज उन सबसे प्रभावशाली एवं महत्वपूर्ण विधा है।"
प्रश्न-3 हिन्दी का प्रथम
रिपोर्ताज किसे माना जाता है?
उत्तर- माना जाता है कि हिन्दी का पहला रिपोर्ताज शिवदान
सिंह चौहान ने 'लक्ष्मीपुर'
नाम से लिखा था।
रिपोर्ताज के विषय में कुछ स्मरणीय
बिन्दु-
- Ø रिपोर्ताज का उदय, द्वितीय महायुद्ध के समय युद्ध की घटनाओं के रिपोर्ट या विवरण प्रस्तुति के अंतर्गत एक साहित्यिक विधा के रूप में हुआ था।
- Ø रिपोर्ताज, समाचार पत्रों की देन है।
- Ø रिपोर्ताज, गद्य विधाओं में सबसे नया कह सकते हैं।
- Ø हिन्दी में रिपोर्ताज लेखन की परम्परा 1940 के आस-पास शुरू हुई।
- Ø माना जाता है कि हिन्दी का पहला रिपोर्ताज शिवदान सिंह चौहान ने 'लक्ष्मीपुर' नाम से लिखा था।
- Ø रिपोर्ताज साहित्य विधा के दो लेखकों के नाम 'रांगेय राघव' और 'कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर' हैं।
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