<><> रिपोर्ताज के गुण एवं प्रकार का वर्णन कीजिए। <><>
रिपोर्ताज के गुण-
1. आँखों देखी, कानों सुनी घटनाएँ ही रिपोर्ताज का वर्ण्य विषय होती हैं। रिपोर्ताज लेखक के
लिए घटना का प्रत्यक्षदर्शी होना आवश्यक है। तथ्यों का सजीव एवं यथार्थ वर्णन
रिपोर्ताज का सर्वप्रधान गुण है।
2. घटना के यथार्थ वर्णन के साथ- साथ रिपोर्ताज को कथातत्त्व से युक्त होना
चाहिए।
3. रिपोर्ताज का गुण उसकी साहित्यिकता, चित्रात्मकता अथवा कलात्मकता है।
4. रिपोर्ताज के लिए लेखक को पर्यवेक्षण क्षमता में निष्णात होना चाहिए।
रिपोर्ताज लेखक को पत्रकार एवं साहित्यकार दोनों की भूमिका निभानी पड़ती है। डॉ.
लक्ष्मीनारायण चातक व डॉ. हरि महर्षि ने लिखा है कि- " रिपोर्ताज लेखन के लिए
एक और पत्रकार दूसरी ओर निबंधकार और तीसरी ओर कहानीकार की प्रतिभा अपेक्षित है।
अनुभव की व्यापकता, जनजीवन से निकट सम्पर्क और सहज संवेदनशीलता रिपोर्ताज लेखक से अपेक्षित गुण
हैं।
5. घटनाओं के सफल नियोजन और प्रभावित संपुंजन में ही रिपोर्ताज की कला सन्निहित
होती है। रिपोर्ताज लेखक को बड़ी सजगता के साथ घटनाओं के नियोजन, घटनाओं के मर्म और पात्रों की
मनःस्थिति इत्यादि का अंकन करना चाहिए तभी रिपोर्ताज की सफलता संभव है।
6. रिपोर्ताज के लिए आवश्यक है - लेखक की सरल, सहज विषयानुकूल एवं प्रभावशाली भाषा-शैली ।
कहा जा सकता है कि रिपोर्ताज के आवश्यक गुणों में
घटना का सजीव एवं यथार्थ वर्णन, कथात्मकता, साहित्यिकता, चित्रात्मकता, कलात्मकता, विश्वसनीयता, घटनाओं का प्रत्यक्ष अनुभव और सफल नियोजन तथा सरल, सहज एवं प्रभावपूर्ण भाषा शैली
इत्यादि उल्लेखनीय है।
रिपोर्ताज के प्रकार-
रिपोर्ताज के प्रमुख प्रकार निम्नांकित है
1. घटना - प्रधान रिपोर्ताज रोमांचक विभीषक घटनाओं (यथा युद्ध, अकाल, बाढ़, सूखा इत्यादि) पर लिखे गये रिपोर्ट घटना प्रधान रिपोर्ताज कहलाते हैं। जैसे रांगेय राघव का बंगाल के
दुर्भिक्ष और महामारी पर तूफानों के बीच' शीर्षक से लिखित
रिपोर्ताज घटना प्रधान एक प्रसिद्ध रिपोर्ताज है, इसमें आँखों-देखी घटनाओं, यथा भूख से बिलबिलाते नर-कांकालों एवं पूंजीपतियों व्यापारियों, मुनाफाखोरियों के अमानवीय
मृत्यों इत्यादि का मार्मिक विवरण प्रस्तुत हुआ है। बंगाल का अकाल (प्रकाशचंद
गुप्ता) ऋण-जल धन जल (फणीश्वर नाथ रेण) इत्यादि रिपोर्ताज हिंदी के श्रेष्ठ घटना
प्रधान रिपोर्ताज हैं।
2. सामाजिक रिपोर्ताज सामाजिक रिपोर्ताज का ताना-बाना सामाजिक जीवन संघर्ष, सामाजिक चेतना, सामाजिक यथार्थ, सामाजिक बोध, सामाजिक जीवन के दुःख-दर्द
इत्यादि पर आधारित होता है। मुन्नी की पढ़ाई, भिखारी का आगमन (रांगेय राघव), इतिहास के पन्नों पर खून के धब्बे (भगवतशरण उपाध्याय), गरीब और अमीर (रामनारायण
उपाध्याय),
जुलूस रूका है (विवेकी राय इत्यादि रचनाएँ हिंदी के प्रसिद्ध सामाजिक
रिपोर्ताज हैं।
3. सांस्कृतिक रिपोर्ताज सांस्कृतिक रिपोर्ताज का वर्ण्य विषय मेले, उत्सव, समारोह, अभिनंदन इत्यादि पर आधारित होते हैं। जैसे- कन्हैयालाल मिश्र (स्वतंत्रता पूर्व कांग्रेस के अधिवेशन), माखनलाल चतुर्वेदी का अभिनंदन
समारोह, 15 अगस्त 1951 को आयोजित स्वतंत्रता-समारोह इत्यादि हिंदी के प्रसिद्ध सांस्कृतिक रिपोर्ताज
के हस्ताक्षर हैं।
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